अपने हालातों का गिला करूं किसे,
मेरी राहों में बड़ी चोटें हैं।
दिल की धड़कनें भी किसी से खफा हो गईं,
हम खुद ही अपने बगैर के रह गए।
जब से उसने मुझे छोड़ा है,
दुनिया मुझे देखती है रोता हुआ।
वक्त बदल जाए, लोग बदल जाएं,
पर दर्द की वो गहराईयाँ हमेशा याद रहती हैं।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
ज़िंदगी के इन रास्तों में टूट गए हैं हम।
जब से वो दूर चला गया है,
दुनिया मेरे लिए सिर्फ संघर्ष है।
दर्द के सिलसिले में हम खुद को खो बैठे,
अब तो दिल भी हमसे रूठ गया है।
किसी को चाहना भी गुनाह हो गया,
इश्क़ करना भी कमज़ोरी हो गया।
जिन्दगी ने किया है बहुत धोखा,
अब तो खुदा भी हमसे रूठ गया है।
हमने तो खुद को ही खो दिया,
अब तो किसी का होना भी भारी हो गया।
खुद की खोज में निकला था मैं,
राहों में ही खुद को खो बैठा।
ज़िंदगी की राहों में मिले थे हम,
मगर हमने खुद को ही खो दिया।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जब से वो चला गया है,
दिल मेरा भी सुना लगता है।
अक्सर सोचता हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी ख़ुद को संभालने की आदत नहीं है।
तन्हाई में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
ख़ुद को साथ लेकर चलना अब आसान नहीं है।
ज़िंदगी के सफर में टूटे दिल को फिर से संभालना है,
ख़ुद को गिरकर भी उठाना है।
तन्हाईयों में भी दिल रो देता है,
कभी किसी की यादों ने रुला दिया है।
ज़िंदगी की राहों में बिखर गया हूँ,
अब खुद को संभालने का हौसला नहीं है।
ज़िंदगी के सफर में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
दिल को छू जाती है वो यादें,
जिन्हें जीने का सहारा बनाया था।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
कहाँ ढूँढें अब अपनी खुदा?
खुद को खो देने की आदत है अब,
रिश्तों को भी खो देते हैं हम।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
अक्सर रातें लम्बी होती हैं,
और ख्वाबों में भी दर्द साथ होता है।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को तसल्ली भी नहीं मिलती।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब खुदा भी हमसे रूठ गया है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब खुद को संभालना है।
ज़िंदगी की राहों में खो गईं हैं हम,
अब कोई रास्ता भी नज़र नहीं आता।
दर्द की राहों में चलते-चलते,
हमने खुद को ही खो दिया।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
दिल की धड़कनें भी किसी से खफा हो गईं,
हम अकेले ही अपने नसीब की राहों में हैं।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी खुद को संभालने की आदत नहीं है।
जब से वो चला गया है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचता हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में हम खो गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
दर्द की राहों में जीना सीख लिया है,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
ज़िंदगी की राहों में हम खो गए हैं,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
ज़िंदगी की राहों में हम खो गए हैं,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
ज़िंदगी की राहों में हम खो गए हैं,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
जिंदगी की राहों में टूटे दिल को,
फिर से संभालना होगा।
अक्सर सोचती हूँ,
क्या मेरी खुशियाँ भी मेरे लिए हैं?
ज़िंदगी की राहों में अक्सर,
हमें खुद से ही जूझना पड़ता है।
ज़िंदगी की राहों में हम खो गए हैं,
खुद को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते।
जब से उसने छोड़ा है,
दिल को सुकून ही नहीं मिलता।
ज़िंदगी की राहों में हम भटक गए हैं,
अब राह भी हमें नज़र नहीं आती।
तन्हाईयों में भी दर्द को महसूस करना सीख लिया है,
अब भीड़ के बीच अकेलापन महसूस होता है।
ज़िंदगी की राहों में मिली हैं बहुत ठोकरें,
पर अब भी हमें हिम्मत हारने की आदत नहीं है।
जब से उसने छोड़ा है,
दुनिया लगती है बहुत अजनबी।
दर्द की राहों में खो गए हैं हम,
अब तक़दीर भी हमसे रूठ गई है।
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